Wednesday 31 October 2012

सुबह की नमस्ते - Subah Ki Namste


सुबह की नमस्ते
प्रेषक : राहुल वर्मा

मैं और मेरे चाचा-चाची पास-पास रहते हैं, मेरे चाचा को शादी के तीन साल हो चुके हैं लेकिन चाची के बड़े-बड़े स्तन देखकर मादरचोद लण्ड में ताकत सी आ जाती थी, उनकी उम्र उस समय लगभग 26 साल थी लेकिन देखने में वो 21 साल की लगती थी।

मेरे चाचा को अक्सर ऑफिस टूर से हर 3-4 महीने बाद बाहर जाना पड़ता था, वो किराये के कमरे में रहते थे इसलिए वे चाची को अकेला नहीं छोड़ना चाहते थे तो वे मुझको उनके घर पर रुकने को कहते थे।

सच बताऊँ तो यह सुनकर तो मेरे मन में लड्डू फूटने लगते थे,लेकिन एक परेशानी थी कि क्या चाची भी वही चाहती है जो मैं चाहता हूँ, यह मुझे नहीं पता था।

लेकिन मैंने ठान रखा था कुछ भी हो चाची की जवानी का रस तो ज़रूर लेना है।

मैं रोज चाची के घर में सोता था मगर हिम्मत नहीं हो पा रही थी कि कुछ करूँ !

और फिर चार दिन बाद चाचा जी वापस आ गए तो लगा यार, अपनी किस्मत ही झंड है.

फिर 4 महीने बाद चाचा का फिर से टूर लगा तो ठान लिया कि कुछ भी हो इस बार ज़रूर कुछ करना है।

और दशहरे के एक दिन पहले की बात है मुझे जोर की मुताश लगी तो मैं मूतने के लिए उठा, मैंने बत्ती जलाई तो जो मैंने देखा वह देखकर मैं दंग रह गया !

चाची सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में सो रही थी क्योंकि उनको गर्मी बहुत लगती थी।

यह देखकर तो मेरा 6 इंच लण्ड नाग के जैसे फुफकारने लगा लेकिन मैं पहले पेशाब करने गया फिर जब मैं वापस आया, तब तक मेरी नींद उड़ चुकी थी और मेरी अन्तर्वासना जागने लगी।

मैं चुपचाप उनके बगल में जाकर लेट गया और धीरे से उनके पीछे पूरे शरीर से चिपक गया और फिर मैंने धीरे से उनकी ब्रा का हुक खोल दिया। यह सब करते हुए मेरे पूरे शरीर में कंपकंपाहट हो रही थी लेकिन मैंने हिम्मत करते हुए उनकी चूचियों पर धीरे से हाथ रखा और लगभग एक मिनट तक हाथ रखा रहा ताकि उनको यह न लगे कि उनके साथ कुछ हो रहा है।

फिर मैंने अपने हाथ उनके पैरों की तरफ बढ़ाये और धीरे से उनको पेटीकोट को ऊपर किया तो मैंने देखा की वो पैंटी भी नहीं पहने थी। पहले तो मेरा लण्ड सिर्फ खड़ा था लेकिन अब तो मेरे लण्ड से पानी आ गया।

लेकिन मैं अपने मिशन को पूरा करने के फ़िराक में था तो मैंने धीरे से उनकी जांघों के बीच में हाथ रखा और उनकी टांग को हल्का सा ऊपर उठाकर मैंने अपना लण्ड उनकी चूत में लगा दिया।

लेकिन चाची झटके से उठ गई और कहने लगी- यह तुम क्या कर रहे हो? तुम्हारे चाचा को पता चलेगा तो वो तुम्हे छोड़ेंगे नहीं !

मैं यह सोचकर सकपका गया लेकिन मेरे दिमाग में अपना ठाना पूरा करने का भूत सवार था तो मैंने चाची से कहा- तुम्हें देखकर तो मुझमें मर्दानगी आई है !

और यह कह कर मैं अपने होंठों को उनके होंठों से मिला कर जोरदार चुम्बन करने लगा और अपने हाथों से उनके मम्मे दबाने लगा जिससे चाची भी प्यार की चरम सीमा पर पहुँचने लगी। फिर वो भी मेरा साथ देने लगी।

फिर मैं लिटाकर उनकी चूत को चाटकर उंगली करने लगा तो चाची के मुँह से आह्ह्ह्ह..... आह्ह्ह की आवाज आने लगी जिसे सुनकर मैं बेकाबू हो गया।

मैंने अपने नाग को बिल में प्रवेश कराया तो आवाज आई.... ओह हो हो... आहह्ह्ह !

मैंने अपने मिशन को आगे बढ़ाया और जोर-जोर धक्के मारने लगा। तब चाची की आवाज आ रही थी- ओह भगवान, ओह माय गाड.......!

फिर चाची बोली- आज तो लग रहा है राहुल तू मेरी चूत फाड़ डालेगा ! सच में आज मुझे सेक्स का असली मज़ा मिला है।

इसके बाद मैंने अपने लण्ड को चाची की चूत में डाले-डाले उनसे चिपक कर पूरी रात बिताई।

सच में उस दिन लगा कि जन्नत वाकई में धरती पर ही है।

फिर सुबह चाची मुझसे बोली- मुझे सुबह की नमस्ते नहीं करोगे?

तो मैंने उनको रात के अंदाज में ही नमस्ते की तो चाची फिर से बहुत खुश हो गई।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे इस पते पर ईमेल करें।

lovegurucul@yahoo.in


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