Wednesday 22 August 2012

दमन में चुदाई....

मैं दमन में रहता हूं। हमारे पड़ोस में मेरा दोस्त रवि रहता है। रवि पड़ोस में अकेला रहता है उसके परेंट्स गांव में रहते हैं। एक बार उसकी मामी किसी अधिवेशन के सिलसिले से दमन आयी और उसके घर पर करीब २ महीने रही। सबसे पहले उसके मामी के विषय में आप लोगो बता दूं।

मामी का नाम फ़रीदा है वो करीब ४० साल की सांवली सुडोल शादी शुदा महिला है। वैसे तो वो हाउस वाइफ़ है लेकिन गांव में मशहूर समाज सेविका है। उसके चूतड़ और बूब्स काफ़ी बड़े बड़े और भारी है। शकल सूरत से वो खूब सेक्सी और ३० साल से कम लगती है।

अकसर में शनिवार या रविवार जो कि मेरे छुट्टी के दिन हैं, रवि के साथ गुजारता हूं। जब से उसकी मामी आयी है तब से मैं मामी से २-३ बार मिल चुका हूं। वो जब भी मिलती तो मुझे अजीब निगाहों से देखती थी मुझे देख कर उसकी नज़रों में एक अजीब नशा छा जाता था या यूं कहिये उसकी नज़र में सेक्स की चाहत झलक रही हो ऐसा मुझे क्यों महसूस हुआ यह मैं बता नहीं सकता हूं लेकिन मुझे हमेशा ही लगता था कि वो नज़रो ही नज़रो से मुझे सेक्स की दावत दे रही हो। मैं जब भी उनसे मिलता तो कम ही बातचीत करता था मगर जब वो बातें करती तो उनकी बातों में दोहरा अर्थ होता था। जैसे हार्दिक तुम खाली समय में कुछ करते क्यों नहीं? मैने कहा मामी जी क्या करु आप ही बतायें। वो बोली तुम्हे खाली समय का और मौके का फायदा उठाना चाहिये। मैने कहा जरूर फायदा उठाउंगा अगर मौका मिले तो। वो बोली मौका तो कब से मिल रहा है लेकिन तुम कुछ समझते नहीं न ही कुछ करते हो?

मैं उनकी बातें सुन कर चकराया और बोला मामी जी आप की बातें मेरे दिमाग में नहीं घुस रही हैं। वो बोली देखो हार्दिक आज और कल यानि शनिवार और रविवार तुम्हारी छुट्टी होती है तो तुम्हे कुछ कुछ पार्ट टाइम जोब करना चाहिये ताकि तुम्हारी आमदनी भी हो जायेगी और टाइम पास भी होगा। इसी तरह की दोहरे शब्दो में मामी जी बातें करती थी और वो जब भी मुझसे बातें करती तब रवि या तो बाथरूम में होता या फिर किसी काम में व्यस्त होता।

एक दिन जब सुबह करीब ११ बजे रवि के घर पहुंचा तो घर पर उसकी मामी थी। रवि मुझे कहीं नज़र नहीं आया। मैने पूछा मामी जी रवि नज़र नहीं आ रहा है कहां गया वो?

मामी: वो बाथरूम में कब से नहा रहा है। मैं उसीका बाहर निकलने का इन्तज़ार कर रही हूं।

हार्दिक: लेकिन वो तो ज्यादा समय बाथरूम में लगाता ही नहीं तुरंत ५ मिनट में आ जाता है।

मामी हंसते हुए: अरे भाई, बाथरूम और बेडरूम ही तो ऐसी जगह है जहां से कोई भी जल्दी निकलना नहीं चाहता है। मैं कोई जवाब नहीं दे सका वो भी चुप रही। थोड़ी देर बाद रवि बाथरूम से नहा धो कर बाहर आया। उसके बाथरूम से आते ही मामीजी बाथरूम में गयी और मेरी तरफ़ नशीली नज़रों से देखती हुयी बोली घबराना मत मैं ज्यादा समय नहीं लगाउंगी। आप लोग नाश्ते के लिये मेरा इन्तज़ार करना, कहते हुए वो बाथरूम में घुस गयी करीब २० मिनट बाद वो तैयार होकर हमारे साथ नाश्ता करने लगी।

नाश्ता करते वक्त रवि ने कहा यार आज मुझे ओफ़िस के काम के सिलसिले में सुरत जाना है। और मैं कल रात को या सोमवार दोपहर को वापस लौटूंगा। अगर सोमवार दोपहर को लौटूंगा तो तुम्हे कल फोन कर दूंगा। अगर तुम्हे ऐतराज़ न हो तो क्या तुम जब तक मैं नहीं आता हूं मेरे घर रुक जाना ताकि मामी को बोरियत महसूस नहीं होगी न ही मुझे उनकी चिंता रहेगी क्योंकि वो दमन में पहली बार आयी हुई हैं। मैने कहा ठीक है नो प्रॉब्लम । और वो १२:३० बजे वाली ट्रेन से सूरत चला गया। मैं भी उसे ट्रेन मे बिठाने के लिये बोरिवली गया जब वापस लौट रहा था तो एक रेस्तौरेंट मे जाकर ३ पेग व्हिस्की पी और लौट कर रवि के घर गया।

घर पर मामी जी हाल मे बैठ कर कोई किताब पढ़ रही थी। मुझे नशीली निगाहों से देखा और बोली रवि को बैठने की सीट मिल गयी थी क्या ? मैने कहा हां क्योंकि ट्रेन बिल्कुल खाली थी। वो बोली कि मैने खाना बना लिया है भूख लगी हो तो बोल देना। मैने कहा अभी भूख नहीं है जब होगी तो बोल दूंगा। मामी की निगाहों में अजीब नशा देख कर मैने पूछा। मामी जी करती क्या हैं? थोड़ी देर तक मेरे नज़रों से नज़रे मिलाती रही फिर बोली "समाज सेवा" ये सुनते ही अचानक मेरे मुंह से निकल गया कभी हमारी भी सेवा कर दीजिये ताकि हमारा भी भला हो जाये। वो हल्के से मुसकुराई और बोली तुम्हारी क्या प्रोब्लम है? मैने कहा वैसे तो कुछ खास नहीं है लेकिन बता दूंगा जब उचित समय होगा। वो मेरे आंखों में आंखें डालती हुए बोली यहां तुम्हारे और मेरे आलावा कोई नहीं है बेझिझक प्रोब्लम कह डालो शायद मैं तुम्हारी प्रोब्लम हल कर दूं?

मैने कुछ नहीं कहा आप किस प्रकार की समाज सेवा करती हो वो बोली मैं जरुरतमंद लोगो की जरुरत पूरी करने की मदद करती हूं उनकी समस्या हल करती हूं। मैने कहा कि मेरी भी जरुरत पूरी करदो न, वो बोली जब वक्त आयेगा तो कर दूंगी फिर वो चुप रही और मैगज़ीन पढ़ने लगी। थोड़ी देर बाद मैने पूछा, मामी जी आप क्या पढ़ रही हैं कुछ खास सब्जेक्ट है क्या इस मैगज़ीन में? वो मुस्कुराते हुए बोली "इस मैगज़ीन में बहुत अच्छा लेख है पत्नी और पति के सेक्स के विषय में। फिर वो पढ़ने लगी। थोड़ी देर बाद उसने पूछा हार्दिक ये उत्तेजना का क्या मतलब होता है? मैं सोचने लगा वो मेरी ओर कातिल निगाहों से देखती हुयी बोली बताओ न। मेरी समझ में नहीं आया कि हिंदी में उसे कैसे बताउं। वो लगातार मेरी और देख रही थी। उसकी आंखों में नशा छाने लगा। मैं उसे गौर से देख रहा था उसके होंठ खुश्क हो रहे थे। वो अपने होंठों पर जीभ फेर रही थी। मैने सोचा अच्छा मौका है मामी को पटाने का। वो इठलाकर बोली बताओ न क्या मतलब होता है? उसकी इस अदा को देखते हुए मैने कहा शायद चुदास। वो बोली क्या कहा क्या मतलब होता है? मैने कहा क्या तुम चुदास नहीं समझती हो? वो बोली कुछ कुछ… क्या यही मतलब होता है? मैने कहा हां शायद यानि कि……।कैसे समझाउं तुम्हे मामीजी मैने उलझ कर कहा।

वो हंसते हुए बोली चुदास का मतलब सेक्स करने की चाहत तो नहीं। मैं उसे एकटक देखने लगा उसके होंठो पर चंचल मुस्कुराहट थी। मैने कहा ठीक समझी आप। वो मेरे आंखो में आंखे डाल कर बोली किस शब्द से बना है चुदास? मैने उसकी आवाज में कंपकपी महसूस की। मेरे दिल ने कहा गधे वो इतना चांस दे रही है तु भी बन जा बेशरम वरना पछतायेगा। मैने कहा चुदास चोदना शब्द से बना है वो खिलखिला कर हंसने लगी और मैगज़ीन के पन्ने पलटने लगी। मैं सोचने लगा अब क्या करुं अचानक उसने पूछा ये वेजिना क्या होता है। मेरे दिल ने कहा साली जानबूझ कर ऐसे सवाल पूछ रही है। मैने बिंदास होकर कहा योनि को वेजिना कहते हैं। वो फिर पूछी यह योनि क्या होता है। मैने कहा क्या आप योनि नहीं जानती हो? वो बोली नहीं। मैने कहा चूत समझती हो। वो झट से मुंह पर हाथ रखा और मैगज़ीन के पन्ने पलटती हुयी बोली हां। मैने हिम्मत कर के कहा चुदास की बहुत चाहत हो रही है। वो हल्के से मुस्कुराते हुए कहा चुदास की प्यास? मैने कहा वाकई चुदास की प्यास लगी है। वो बोली मैं भी २ साल से प्यासी हूं क्योंकि २ साल पहले मेरा पति से तलाक हो गया था। मैने कहा ओह इसका मतलब कि २ साल से तुम्हारी चूत ने लंड का पानी नहीं पिया है। वो सिर झुका कर बोली आज तक तुम्हारे जैसा कोई मिला ही नहीं।

मैं बोला अगर मिल जाता तो। वो बोली तो मैं अपनी चूत को उस लंड पर कुर्बान कर देती। मैं बोला आओ मेरा लंड तुम्हारी चूत पर न्यौछावर होने के लिये बेकरार है। तुरंत उसे अपने बाहों में ले लिया और उसके होंठ में होंठ डाल कर चुम्बन करने लगा मैने महसूस किया कि उसके हाथ मेरे लंड की तरफ़ बढ़ रहे थे और उसने पैंट की ज़िप खोल कर मेरे लंड को पकड़ लिया फिर धीरे धीरे सहलाने लगी। मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया। मुझसे बरदास्त नहीं हुआ और मैं पैंट और अंडरवेअर निकाल कर बिल्कुल नंगा हो गया। अब वो फिर मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुंह में ले लिया और लोली पोप की तरह चूसने लगी। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। कभी वो मेरे लंड के सुपाड़े को चूसती, कभी जबान से लंड को जड़ तक चाट रही थी ऐसा उसने करीब १५ मिनटे तक किया। आखिर में रहा न गया मैने उसके मुंह में ढेर सारा वीर्य डाल दिया। फिर हम दोनो सोफ़े पर आकर बैठ गये। मेरा लंड फिर सामान्य हो गया। वो अब भी साड़ी पहने हुयी थी मैने उसकी साड़ी में हाथ डाल कर जांघो को सहलाया फिर हाथ को उसके चूत पर ले गया। उसकी पैंटी गीली हुयी थी इतनी गीली थी जैसे पानी से भिगोयी हो। मैने उसके पैंटी के ऊपर से ही चूत को मसलना शुरु किया। वो बिन पानी के मछली की तरह तड़पने लगी। फिर मैने उसकी पैंटी में हाथ डाला। उसकी चूत फूली हुयी और गरम बत्ती की तरह सुलग रही थी।

मैने उसकी चूत की दरार में उंगली डाल कर चूत के दाने को मसलने लगा जिस कारण वो बेकरार होने लगी। अब मैने उसे सोफ़े पर लिटा कर उसकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर सरकाया। उसकी पैंटी चूत के अमृत से तर-बतर थी। मैने पैंटी को पकड़ा और झांघो तक सरका दिया। अब वो खुद उठ कर अपनी पैंटी निकाल दी और फिर सोफ़े पर लेट गयी। उसकी घुटने ऊपर थे और टांगे फैली हुयी थी। उसकी सांवली चूत अब बिल्कुल साफ़ साफ़ दिखायी दे रही थी। मैने अपने एक उंगली उसकी चूत में डाली तो मुझे लगा मैने आग को छू लिया हो क्योंकि उसकी चूत काफ़ी गरम हो चुकी थी। मैने धीरे धीरे अपनी उंगली उसके चूत में अंदर बाहर करने लगा उसके मुंह से आअह्हह्हाअ ऊऊऊफ़्फ़फ़्फ़ की आवाज निकल रही थी। अब मैने २ उंगलियां उसकी कोमल चूत में घुसाई। चिकनी चूत होने से दोनो उंगलियां आराम से अंदर बाहर हो रही थी। लगभग पचास साठ बार मैने अपनी उंगलियों से उसकी चूत की घिसाई की। इधर मेरा लंड भी फूल कर तन गया था। अब मैं उठ खड़ा हुआ और उसे लेकर बेडरूम मे ले गया। वो आंखे बंद किये मेरे अगले कदम का इन्तज़ार करने लगी। मैने शर्ट निकाल कर उसकी साड़ी और पेटिकोट दोनो उतार दिये और हम बिल्कुल नंगे हो गये। वो करवट लेकर लेट गयी। अब उसके चूतड़ साफ़ झलक रहे थे। मैने उसक गांड पर हाथ सहलाया। क्या गांड थी। गोल मटोल गांड थी उसकी।

मैं करीब ५ मिनट तक उसकी गांड को सहलाता रहा फिर उसकी कमर पकड़ कर चित लिटा दिया। और जितना हो सका उतनी उसकी टांगे फैला दिया फिर उसकी चूत की दरारों को फैला कर अपनी जीभ से चूत चाटने लगा। उसके मुंह से हाअ ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ की नशीली आवाजे निकल रही थी। अपनी जीभ से उसकी चूत के एक एक भाग चाट रहा था। बीच बीच में चूत को जीभ से चोद रहा था। वो बिल्कुल पूरी तरह से गरम हो चुकी थी। वो बोली अब हटो हार्दिक। मेरी चूत काफ़ी गरमा चुकी है।

अपना लंड मेरी गरमगरम चूत में घुसेड़ दो राजा। उफ़्फ़फ़। अपने लंड से मेरी चूत की गरमी और प्यास बुझा दो मेरे हार्दिक आज इतना कस कस कर चोदो कि मेरे पूरे अरमान निकल जाये। जैसे ही मैने उसकी चूत से अपना मुंह हटाया उसने अपनी टांगे मोड़ ली। मै उसके उठि हुयी टांगो के बीच बैठ गया। मैने उसकी टांगे अपने हाथ से उठा कर अपना लंड उसके चूत के मुंह में रखा जिस कारण उसके शरीर में झुरझुरी मच गयी। लंड को चूत के मुंह में रखते ही चूत की चिकनाहट के कारण अपने आप अंदर जाने लगा। मैने कस कर एक धक्का मारा तो लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में घुस गया। गरमा गरम चुत के अंदर लंड की अजीब हालत थी। अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। उसकी चूत के घर्षण से मेरा लंड फूल कर और मोटा हो गया। मेरे हर धक्के पर वो ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ आआह्हह ऊऊह्हह्हह की आवाजे निकालने लगी। करीब २० मिनट तक मैं उसके चूत में अपना लंड अंदर बाहर करता रहा फिर मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी और दना दन लंड को चूत में मूसल की तरह घुसाता रहा वो मुझे कस कर बाहों में जकड़ ली मैं समझ गया कि वो झड़ रही है। और करांह रही थी। बोल रही थी। हाय! हार्दिक २ साल बाद मेरी चूत की खुजली मिटी है। वाकई तुम पक्के चुदक्कड़ हो।


चोदो मुझे जोर जोर से चोद। मेरा लंद फच फच की आवाज के साथ अंदर बाहर हो रहा था। पूरे कमरे में चुदाई की फ़चाफ़च फ़चाफ़च की आवाजे गूंज रही थी। मेरा लंड उसकी चूत को छेदता जा रहा था कुछ देर बाद उसके झड़ने के कारण मेरा लंड बिल्कुल गीला हो चुका था और वो निढाल होकर लम्बी लम्बी सांसे ले रही थी। करीब ५० -६० धक्को के बाद मेरे लंड ने आखिर जोरदार फ़ौव्वारा निकला और उसकी चूत में समा गया। जब तक लंड से एक एक बूंद उसकी चूत में समाती रही मैं धक्को पर धक्के लगाता रहा। आखिर में मैने अपना लंड बाहर निकाला और उसके बाजु में लेट गया। हम दोनो की सांसे तेज चल रही थी वो दाहिने करवट से लेटी हुई थी। करीब १५ -२० मिनट तक हम ऐसे ही लेटी रही। फिर मेरी नज़र उसकी गांड पर पड़ी। गांड का ख्याल आते ही लंड फिर से हरकत करने लगा।

मैने अपनी एक उंगली उसकी गांड के छेद पर रख कर घुसाने की कोशिश की। उसकी गांड का छेद बहुत टाइट था। मैने ढेर सारा थूक उसकी गांड के छेद पर और अपनी उंगली पर लगाया और दुबारा उसकी गांड में उंगली घुसाने की कोशिश करने लगा। गीलेपन के कारण मेरी उंगली थोड़ी गांड में घुस गयी उंगली घुसते ही वो कसमसाहट करने लगी। वो तड़प कर आगे खिसकी जिस वजह से उंगली गांड के छेद से बाहर निकल गयी और मुड़ कर बोली क्या कर रहे हो। मैने कहा तुम्हारी गांड सचमुच खूबसूरत है। वो बोली उंगली क्यों घुसाते हो लंड क्या सो गया है? उसकी यह बातें सुनकर मैं खुश हुआ और उसे पेट के बल लिटा दिया और दोनो हाथों से उसकी चूतड़ को फ़ैला दिया जिस से उसकी गांड का छेद और खुल गया। वो धीरे से बोली हार्दिक, नारियल तेल, घी या कोई चिकनी चीज मेरे गांड और लंड पर लगालो तो आसानी रहेगी।

मैने कहा मैडम इस से भी अच्छी चीज है मेरे पास वेसलीन, और मैं उठ कर ड्रायर से वेसलीन ले आया। और ढेर सारी वेसलीन अपने लंड और उसकी गांड पर लगाया और उसकी गांड मारने को तैयार हो गया। अब मैने अपना लंड उसकी गांड के सुराख पर लगाया और थोड़ा जोर लगा कर पुश किया। लंड का सुपाड़ा गांड में थोड़ा सा घुस गया। फ़िर थोड़ा जोर लगा कर और पुश किया तो सुपाड़ा उसकी गांड में समा गया। सुपाड़ा गांड में घुसते ही वो बोली हार्दिक थोड़ा आहिस्ते आहिस्ते डालो दर्द हो रहा है, २ साल हो गये गांड मरवाये। अब मैं सिर्फ़ सुपाड़े को ही धीरे धीरे गांड के अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद ही उसकी गांड का छेद पूरा लंड खाने के काबिल हो गया। मुझे लगा अब मेरा लंड पूरा उसकी गांड में घुस जायेगा और ऐसा ही हुआ।

उसकी गांड का छेद चिकनाहट की वजह से, लंड थोड़ा थोड़ा और अंदर समाने लगा। २-३ मिनट की मेहनत से मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी गांड में घुस गया। मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी गांड से अंदर बाहर करने लगा। उसकी टाइट गांड होने से मुझे बड़ा मजा आ रहा था। उसे भी गांड मरवाने का मजा आ रहा था और मुंह से ऊफ़्फ़ आह्हा की आवाजे निकाल रही थी। ४०-५० धक्को के बाद मेरे लंड ने घुटने टेक दिये और उसकी गांड में ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया वो भी अपनी गांड को सिकोड़ने लगी। अब हम दोनो निढाल होकर बिस्तर पर लेट गये। जब तक मेरा दोस्त नहीं आया मैने उसकी मामी की कई बार चूत और गांड मारी। जब मैं वापस अपने घर लौटने लगा तो मामी बोली। कैसी रही मेरी समाज सेवा। और मैने हंस कर कहा, मामी जी आप सच्चे तन मन से समाज सेवा करती हो फिर मैं घर लौट आया

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