मेघा घर चली आई। दिन के बारह बज रहे थे। जीजू तो दस बजे ही ऑफ़िस जा चुके थे। मेघा ने जल्दी से चपातियाँ बनाई और जाकर लेट गई। अदिति दो बजे घर आ गई थी। उसने मेघा को जगाया और फिर भोजन करने बैठ गई। अदिति तो स्नान आदि से निपट सो गई। मेघा भी लेटी सोच रही थी, बस उसकी आँखों में खुशबू के साथ चूत घिसाई के भी सपने थे। फिर उसकी विचारधारा पलट कर जीजू पर चली जाती थी। अदिति ने पाँच बजे चाय बनाई। यही समय प्रकाश के आने का था। प्रकाश ने आते ही हाथ-मुँह धोए और चाय पीने बैठ गया। जैसे ही उसकी नजर मेघा पर पड़ी। मेघा शरमा गई। अदिति ने चुपके यह सब देख लिया था। प्रकाश बार बार मेघा को देख रहा था और अदिति दोनों का मजा ले रही थी और मन ही मन मुस्करा रही थी। वो प्रकाश के मन की बात समझ रही थी। मेघा की हरकतें भी वो भांप चुकी थी। जवानी सुलगने लगी थी … बस शायद शोले भड़काने के लिये एकान्त चाहिये था। अदिति को महसूस हो रहा था कि कल उसके स्कूल जाने के बाद मेघा की चुदाई जरूर ही हो जायेगी। प्रकाश और मेघा, अदिति से अनजान, मन ही मन अपने लड्डू फ़ोड़ रहे थे। प्रकाश का लण्ड मेघा के बारे में सोच सोच कर बहुत कड़क रहा था। सुबह उसने सफ़लतापूर्वक एक कोशिश कर भी ली थी। वो कम से कम एक बार अकेले में मेघा से मिल कर एक बार फिर से अपनी सफ़लता को परख लेना लेना चाहता था। मेघा शाम के लिये सब्जी और दाल बना चुकी थी, बस अदिति को शाम के लिये चपातियाँ ही सेंकनी थी। अदिति अपना स्कूल का काम निपटाने में लग गई थी। मेघा बालकनी में खड़ी थी। इधर प्रकाश ने मौका देखा और पहुँच गया उसके पास ! मेघा ने अपनी बड़ी बड़ी आँखों से जीजू को देखा। प्रकाश की पैंट में उसके खड़े लण्ड का आभास हो रहा था जिसे देख कर मेघा शरमा गई। प्रकाश ने हिम्मत करके मेघा का हाथ पकड़ लिया। मेघा कांप सी गई। उसने मेघा का हाथ नीचे ले लिया और अपने कड़क लण्ड से सटा दिया। मेघा ने उसकी बात समझ ली थी। उसका मन भी जीजू का लण्ड पकड़ने को तड़प रहा था। मेघा ने डरते डरते अपने हाथ से जीजू का लण्ड छू लिया। प्रकाश का लण्ड जैसे उछल पड़ा। मेघा ने फिर से अपने हाथ से जीजू के लण्ड पर दबाव डाला। ओह्ह … कितना मांसल … कितना कड़ा … फिर मेघा से रहा नहीं गया। उसने हिम्मत करके धीरे से जीजू का लण्ड अपने कोमल हाथों से पकड़ कर दबा दिया। प्रकाश की आनन्द से आँखें बन्द हो गई। एक सिसकी सी निकल गई उसके मुख से। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं। "मेघा … आह्ह … मजा आ गया !" मेघा की आँखें चमक उठी। उसने कठोरता से उसका लण्ड पकड़ कर दबा दिया। मेघा का मन चुदने को तड़प उठा। रह रह उसे खुशबू की बातें खूब याद आ रही थी। प्रकाश ने मेघा के वक्ष को छूकर सहला दिया। मेघा पिघल उठी। वो अनायास ही जीजू की बाहों में समा गई। जीजू के दोनों हाथ उसकी कमर पर कस गये। मेघा ने जीजू की चौड़ी छाती पर अपना सर रख दिया। टूटे कांच के पीछे से अदिति सब कुछ बड़े ही आराम से देख रही थी, दोनों की लिपटा लिपटी। मेघा तो जैसे सारे बंधन जैसे तोड़ देना चाहती थी, वो अपनी चूत को बराबर जीजू के लण्ड पर घिसने की कोशिश कर रही थी। जीजू भी किसी कुत्ते की तरह से अपना लण्ड उसकी चूत पर मार रहा था। दोनों ने एक दूसरे को देखा और आँखों ही आँखों में खो गये। मेघा तो अपने जीजू के लण्ड को छोड़ना ही नहीं चाह रही थी। तभी किसी खटके ने दोनों की तन्द्रा तोड़ दी, दोनों जल्दी से अलग हो गये। मेघा ने जीजू का लण्ड छोड़ दिया। अदिति शाम ढलने के बाद खिड़किया बन्द कर रही थी। हर कमरे में रोशनी के लिये वो लाईट जला रही थी। मेघा और प्रकाश अलग हो कर प्यासी निगाहों से एक दूसरे को देख रहे थे। मेघा ने एक गहरी सांस ली और कमरे में आकर दीवान पर लेट गई। प्रकाश ना चाहते हुये भी कमरे से बाहर चला आया। वो नहीं चाहता था कि अदिति यह सब जान जाये। पर अदिति अपने पति के मन की इच्छा को जानना चाहती थी और उसे दुनिया की वो सब खुशी देना चाहती थी जिससे वो खुश रहे। रात को अदिति ने मेघा की तरफ़ खुलने वाली खिड़की का परदा जानकर के नहीं लगाया था, बस एक तरफ़ रहने दिया था। उस खिड़की का टूटा हुआ कांच मेघा के लिये लाईव शो का काम करेगा। रात के भोजन इत्यादि से निपट कर सभी सोने की तैयारी करने लगे। मेघा ने अपने कमरे की बत्ती बन्द कर ली और लेटी हुई जीजू की हरकतों के बारे में सोचने लगी। जीजू का लण्ड का दबाव अपनी चूत पर वो बार बार महसूस कर रही थी। उसकी चूत गीली हो कर लण्ड को अपने में समा लेना चाहती थी। यह सब सोच सोच कर मेघा तड़प सी जाती। उसकी जवानी उससे सही ना जा रही थी। उसे किसी मर्द की जरूरत महसूस होने लगी थी। तभी उसे दीदी के कमरे से सी सी की आवाज आई। वो चौकन्नी हो गई, बिस्तर से उठ बैठी। उसे दीदी के कमरे की खिड़की दिखाई दी। उसके कदम उस ओर बढ़ चले। फिर एकाएक वो ठिठक सी गई। वो तुरन्त अन्धेरे में हो गई। पर अदिति को बस एक झलक ही काफ़ी थी। उसे पता चल चुका था कि दर्शक पहुँच चुका है, पर उसे लाईव शो दिखाना अभी बाकी था। प्रकाश तो अभी बस अदिति के मम्मे ही दबा रहा था। कभी कभी वो उसके सुडौल चूतड़ भी दबा देता था। "मेघा के बारे में तुम क्या कह रहे थे?" "वो जवान हो चली है … मस्त दिखती है।" "क्यों, क्या इरादा है? … पटाना है क्या?" "अदिति, माल तो पटाखा है … एक बार चोद लूँ तो जिन्दगी का मज़ा आ जाये !" "बना रहे हो मुझे? शाम को तो उसके हाथों में अपना लौड़ा पकड़ाया हुआ था, वो भी खूब दबा दबा कर मसल रही थी !" "अरे, तुम्हें कैसे मालूम…?" अदिति ने प्यार से प्रकाश को चूमा और हंस पड़ी। "उफ़्फ़ मेरी चूचियाँ तो दबाओ … इस्स्स्स … मौका मिले तो उसे चोद देना … उह्ह्ह जरा धीरे मसलो ना !" दोनों लिपट पड़े। अदिति ने अपना गाऊन उतार दिया और पीछे से वो प्रकाश की लुंगी खोल रही थी। "क्या बात है … लौड़ा नहीं चुसाओगे क्या…?" अदिति नीचे बैठने लगी और उसकी लुंगी भी नीचे उतार कर एक तरफ़ डाल दी। प्रकाश का लम्बा सा लण्ड मस्ती से झूल गया। उसका पूरा खुला हुआ सुर्ख गुलाबी सुपाड़ा मेघा ने देखा तो उसके दिल से एक ठण्डी आह निकल पड़ी। अदिति ने उसका मोटा सा लण्ड इधर उधर हिलाया और फिर गप से अपने मुख में डाल लिया। चप-चप करके उसके लण्ड के चूसने की आवाज मेघा को साफ़ सुनाई दे रही थी। प्रकाश के कठोर चूतड़ आगे-पीछे हो कर उसे चूसने में सहायता कर रहे थे। प्रकाश के मुख से सिसकारियाँ जोर से निकल रही थी। "साली मेघा की चूत चोद डालूँ … साली को चोद चोद कर … आह्ह्ह मेरी रानी…!" अदिति ने उसके चूतड़ों को अपने हाथों से थाम कर दबा लिया और अपनी एक अंगुली भी प्रकाश की गाण्ड में घुसेड़ दी। तभी अदिति ने प्रकाश का लौड़ा अपने मुख से बाहर निकाल लिया। प्रकाश का लण्ड थूक से सना हुआ था। थूक की लार उस पर से टपक रही थी। अदिति उठ कर जल्दी से पलंग पर अपने हाथ टिका दिये और घोड़ी बन गई। प्रकाश ठीक उसके पीछे आ गया और अपने हाथों से उसकी गाण्ड को खोल दिया। गाण्ड का छेद चमक उठा वो लण्ड खाने को बेताब अन्दर बाहर सिकुड़ रहा था। प्रकाश ने अपना लौड़ा उसकी गाण्ड के छेद पर टिका दिया। उसका चमकदार सुपाड़ा जो थूक से सना हुआ था उसके छेद को दबाने लगा, फिर फ़क से उसका सुपाड़ा छेद में घुस गया। दोनों के मुख से सिसकारी निकल पड़ी। मेघा भी यह सब देख कर तड़प उठी। उसने धीरे से अपनी चूचियाँ दबा ली और सिसक पड़ी। एक ही झटके में लण्ड गाण्ड के भीतर था, करीब आधा घुस चुका था। दूसरे ही शॉट में लण्ड जड़ तक बैठ गया था। मेघा सोच रही थी कि दीदी को गाण्ड मराने का शौक था तभी तो आराम से उसकी गाण्ड में लण्ड घुस गया था। फिर तो सटासट अदिति की गाण्ड चुदने लगी थी। मेघा का तन जैसे आग हो रहा था। उसे भी अब लण्ड की बेहद तलब हो रही थी। वो भी चुदना चाह रही थी। काफ़ी देर तक प्रकाश अदिति की गाण्ड मारता रहा। दोनों मस्ती से मीठी मीठी हुंकारे भर रहे थे। तब प्रकाश ने अपना लण्ड बाहर निकाला और उसकी गाण्ड पर उसे तीन चार बार ठपकाया … फिर उसी अवस्था में नीचे से ही चूत में अपना लण्ड घुसा दिया। अदिति मस्ती से चीख उठी। मेघा ने अपनी चूत दबा ली और उसे मसलने लगी। उसने अपनी दोनों टांगें और फ़ैला ली और प्रकाश को लण्ड घुसेड़ने में सहायता की। आह्ह्… दीदी की चूत इतनी बड़ी और इतनी खुली हुई। उसे अदिति के भाग्य पर ईर्ष्या होने लगी। हरामजादी रोज रोज टांगें उठा कर चुदवाती जो होगी। जोरदार शॉट पर शॉट चल रहे थे। अदिति जोर जोर से सुख भरी आवाजें निकाल रही थी। प्रकाश भी अपने मुख से मेघा को चोदने की बात कर रहा था। "साली मेघा की तो मैं चूत फ़ाड़ डालूंगा … चोद चोद कर भोंसड़ा बना दूँगा।" "ओह्ह अरे प्रकाश, चोद दे … जोर से ठोक हरामी … मेरा दम निकाल दे… उह्ह्ह्ह … दे … लण्ड दे …!" मेघा यह देख कर तड़प उठी थी, अपनी चूत को जोर जोर से मसल रही थी। तभी अदिति एक चीख के साथ झड़ने लगी। पर प्रकाश उसे कस कर चोदता रहा। अदिति ने अब उसका लण्ड चूत से निकाल लिया और सामने बैठ कर हाथों से जोर जोर से मुठ्ठ मारने लगी। तभी प्रकाश के लण्ड ने वीर्य की तेज धार छोड़ दी। अदिति ने अपना बड़ा सा मुख खोल दिया और धार उसके मुख में पिचकारियों के रूप में समाती चली गई। अदिति ने बहुत ही स्वाद से उसके पूरे वीर्य को पी लिया। मेघा को यह अजीब जरूर लगा पर वो भी उस समय झड़ने में लगी थी। उन दोनों को देखते हुये मेघा का पानी कुछ अधिक ही निकल गया। मेघा पलट कर अपने दीवान पर चली गई। अदिति अपनी सफ़ल हुई योजना से खुश थी। जो वो मेघा को दिखाना चाहती थी वो दिखा चुकी थी। बस अब मेघा की तड़प ही उसे प्रकाश से चुदवायेगी। कहानी जारी रहेगी।
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