चरित्र बदलाव-4
प्रेषक : अमित अग्रवाल
अन्तर्वासना के पाठकों को एक बार फिर से मेरा प्यार और नमस्कार ! काफी मित्रों के ढेरों संदेश मिले, आप लोगों को मेरी जीवन की कहानी इतनी अच्छी लगेगी, मैंने सोचा भी नहीं था। इस बारे में और अपने बारे में ज्यादा बात ना करते हुए मैं अपनी कहानी को आगे बढ़ाता हूँ। नए पाठकों से निवेदन है कि पहले की कहानी जानने के लिए पहले के तीन भाग
चरित्र बदलाव-1
चरित्र बदलाव-2
चरित्र बदलाव-3
पढ़ें।
दीदी स्वाति और चित्रा के साथ सेक्स का मजा लेने और दीदी के साथ सेक्स करने की आजादी मिलने के बाद मैंने काफी दिनों तक उनके साथ सेक्स किया। मगर कहते हैं ना जिस तरह बुरे दिन ज्यादा दिन तक नहीं रुकते उसी तरह अच्छे दिन भी ज्यादा दिनों तक नहीं रुकते।
दीदी की शादी तय हो गई और वो घर छोड़ कर अपने ससुराल चली गई जिसके बाद मैं भी उदास रहने लगा और उसी के कारण मैं एक विषय में फेल हो गया। पापा को ट्यूशन से बहुत नफरत थी इसलिए मैं वो भी नहीं लगवा सकता था तो भाभी से मदद मांगी तो उन्होंने मदद करने के लिए हाँ कह दी।
अब जो लड़का अपनी बहन के साथ सेक्स कर चुका हो वो अपनी भाभी की कितनी इज्ज़त करेगा यह तो हम सब अंदाजा लगा ही सकते हैं। मेरी नज़र हमेशा भाभी के ब्लाऊज के अंदर तक झांकती थी। वैसे तो भाभी की उम्र २6 साल थी लेकिन कामकाजी महिला होने के कारण उन्होंने अपने आपको काफी अच्छा संवार कर रखा था। उनका नाम तो प्रियंका था मगर सब घर में उनको प्रिया ही कहते थे।
योगी(मेरा मित्र) के निवेदन पर भाभी ने उसे भी पढ़ाने के लिए हाँ कह दी क्योंकि वह मेरा मित्र था। अगले दिन से भाभी हमें पढ़ाने लगी क्योंकि भाभी ऑफिस जाती थी इसलिए वो हमें हफ्ते में दो दिन यानि शनिवार व रविवार को ही पढ़ाती थी। वैसे तो योगी पढ़ाई में अच्छा है लेकिन जैसा मैं पहले ही बता चुका हूँ, वह एक नंबर का ठरकी है वो भी बस भाभी को देखने के लिए ही पढ़ने आता था।
एक शुक्रवार की बात है, घर पर भी मेरे अलावा कोई नहीं था, भाभी ऑफिस से जल्दी घर आ गई और बिना कपड़े बदले ही मुझे पढ़ाने लग गई ताकि मेरी पढ़ाई का नुक्सान ना हो क्योंकि अगले दिन हम सबका पिकनिक पर जाने की योजना थी मगर उस दिन मेरा ध्यान पढ़ाई की जगह भाभी के चूचे देखने में ज्यादा था क्यूंकि भाभी ने शर्ट पहनी थी और उसमें से उनके चूचो का आकार साफ़ दिखाई दे रहा था।
कुछ देर पढ़ाने के बाद भाभी बोलने लगी- तुम पढ़ो, मैं अभी आती हूँ।
काफी देर तक भाभी के ना आने पर मैं बिना कुछ सोचे उनके कमरे की तरफ चल दिया। जब मैं उनके कमरे में पहुँचा तो जो देखा वो देख मैं हैरान रह गया। मैंने देखा कि भाभी पारदर्शी नाईटी में बैठी हुई हैं, यह देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और मैंने किताबें एक तरफ फेंकी और बिना कुछ सोचे भाभी के पास जाकर उन्हें चूम लिया।
भाभी ने मुझे एक तरफ करते हुए कहा- क्या करते हो? सबके आने का समय हो गया है, किसी ने देख लिया तो?
लेकिन मैंने भाभी की एक ना सुनी और उन्हें फिर चूमने लगा तो भाभी ने मेरे गालो पर एक थप्पड़ मार दिया और चली गई।
मैं वहीं बैठ गया और रोते हुए सोचने लगा कि भैया के रहते हुए भाभी को इसकी क्या जरूरत पड़ गई ।
अगले दिन क्योंकि हम सबको पिकनिक पर जाना था सो हम सभी सुबह जल्दी उठ गए लेकिन अचानक ऑफिस का जरूरी काम पड़ने के कारण भैया का आना कैंसल हो गया तो भैया ने मुझसे भाभी को घुमा लाने को कहा मगर भाभी ने मना कर दिया। लेकिन भैया के जोर देने पर भाभी मान गई। मैं भी भाभी को घुमाने के लिए मेट्रो वाक मॉल ले गया लेकिन भाभी के दिल की बात जानने के लिए मैंने कार जापानी पार्क की तरफ ले ली।
जब हम अंदर पहुँचे तो दूसरे जोड़ों को देखकर भाभी शर्माने और हंसने लगी क्योंकि बाकी एक दूसरे को चूम रहे थे, मैं भी भाभी के मन की बात समझ गया और हम दोनों भी एक बेंच पर बैठ गए और फिर मैंने जबरदस्ती भाभी के होंठो पर होंठ रख दिए, कोई विरोध ना होता देख मैं ऊपर से ही उनके वक्ष मसलने लगा जिससे शायद भाभी थोड़ा गर्म हो गई थी और चुम्बन में मेरा साथ देने लगी।
थोड़ी देर के बाद मैंने भाभी से पूछा- आपने कल ऐसा क्यों कहा कि कोई देख लेगा? क्या आपको इस पर ऐतराज नहीं था?
तो वो बोली- मुझे पता है कि तुम और स्वाति पहले सेक्स कर चुके हो।
पूछने पर उन्होंने बताया कि स्वाति ने ही उन्हें बताया था।
मैं थोड़ा डर गया मगर भाभी की मर्ज़ी देख मेरा भी डर निकल गया और हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे क्योंकि शाम का समय था और पार्क इतने बड़ा है कि हमें कोई भी देख नहीं सकता था इसलिए मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोल कर अपना लण्ड बाहर निकल लिया और भाभी को उसे चूसने को कहा।
मगर भाभी ने मना कर दिया।
इस बार मैंने भी कोई जबरदस्ती नहीं की और चुपचाप अपनी ज़िप बंद कर ली। फिर हम दोनों ने एक बार फिर एक दूसरे को चूमा और घर के लिए निकल पड़े।
जैसे ही हम घर पहुँचे तो मम्मी और पापा ने हमें खाने के लिए बुलाया मगर मुझे भूख नहीं थी इसलिए मैंने मना कर दिया और मैं सीधा अपने कमरे की तरफ चल दिया। कमरे में पहुँच कर मुझे अपने ऊपर अफ़सोस हो रहा था क्योंकि भाभी की हाँ के बावजूद मैं उन्हें चोद नहीं पाया।
मैंने सोच लिया कि आज रात को मैं उन्हें जरूर चोदूँगा इसलिए मैं मम्मी और पापा के सोने का इंतज़ार करने लगा।
मैंने मोबाइल में 12 बजे का अलार्म लगा दिया और सो गया। रात को जैसे ही अलार्म बजा, मैं उठ गया और अपने रात के पहने हुए कपड़े उतार कर सिर्फ अंडरवियर और बनियान में भाभी के कमरे की तरफ चल दिया।
जब मैं भाभी के कमरे के पास पहुँचा तो देखा कि भाभी के कमरे की बत्ती जल रही है और भाभी के अलावा किसी और की भी आवाज़ आ रही है मगर आवाज़ साफ़ ना होने कि वजह से मुझे समझ नहीं आया कि भाभी किससे बात कर रही है।
मैंने कमरे का दरवाजा खोलने की कोशिश कि मगर दरवाजा अंदर से बंद था। मैंने भी दरवाजा बजाना ठीक नहीं समझा क्योंकि इससे मम्मी पापा जग सकते थे, मैं अपने कमरे में वापिस आ गया मगर एक सवाल मुझे बार बार परेशान कर रहा था कि भाभी किससे बात कर रही थी और मैं यही सोचते सोचते सो गया।
सुबह करीब 8 बजे भाभी मुझे जगाने आई। जब मैं उठा तो देखा कि घर पर मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं था।
मैंने भाभी से पूछा- मम्मी-पापा कहाँ हैं?
तो उन्होंने कहा- वो कल रात को दस बजे ही तुम्हारी लक्ष्मी नगर वाली बुआ के यहाँ चले गए क्योंकि तुम्हारी बुआ की तबीयत ठीक नहीं है।
मैं तभी समझ गया कि इससे अच्छा मौका मुझे जिंदगी में कभी नहीं मिलेगा।
भाभी ने कहा- तुम नहा-धो कर फ्रेश हो जाओ, मैं तुम्हारे लिए चाय बना कर लाती हूँ।
मैंने देर ना करते हुए भाभी का हाथ पकड़ लिया और कहा- जो उस दिन नहीं हो पाया उसे आज पूरा कर लेते हैं।
भाभी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया मगर उन्होंने इस बात पर कोई नाराज़गी भी नहीं दिखाई।
मैंने इसे उनकी हाँ समझ कर उनके होंठो पर चुम्बन जड़ दिया, अपना एक हाथ उनकी कमर में डाल कर चारों तरफ से उन्हें जकड़ लिया और उनके शरीर के हर भाग पर चुम्बनों की बारिश कर दी। इससे भाभी भी जोश में आ गई और उन्होंने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने चूचों पर रख दिया और हम दूसरे को पकड़ कर चूमते रहे। मैं बीच-बीच में भाभी के चूचे भी दबा दिया करता थे जिससे वो चिल्ला उठती थी।
थोड़ी देर बाद मैंने उनसे कहा- भाभी ! मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ !
तो वो हँस दी।
कहते हैं ना कि हंसी तो फँसी।
मैंने उन्हें अपनी गोद में उठा लिया और उन्हें अपने कमरे में ले गया। फिर मैंने उनसे कहा- भाभी ! भैया का कितना बड़ा है?
तो भाभी ने कहा- वैसे तो तुम मुझे चोदना चाहते हो और अभी भी मुझे भाभी बोल रहे हो? तुम मुझे प्रिया कह कर बुलाओ, मुझे अच्छा लगेगा और ऐसे सवाल पूछ कर क्यों समय खराब कर रहे हो? फिर मैंने इस बेकार के सवालों को छोड़ते हुए प्रिया के बाल पकड़ लिए और फिर से उसके होंठ चूसने लगा ताकि उसका जोश खत्म ना हो और चुदाई में ज्यादा मजा आये। मैंने नाइटी के ऊपर से ही उनके चूचे मसल दिए जिससे वो चिल्ला उठी।
मैंने अपने कपड़े उतार दिए और मैंने भाभी की भी नाइटी खींच कर उतार दी। भाभी ने खुद ही अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और अपने स्तनों को आजाद कर दिया। भाभी के स्तन सच में स्वाति दीदी से भी बड़े थे, प्रिया भाभी के स्तन 36" से कम नहीं थे।
मैंने धक्का देकर भाभी को बिस्तर पर पटक दिया और अपना मुँह उनके स्तनों में गड़ा दिया और स्तनपान करने लगा। मेरे स्तनपान करने के कारण भाभी धीमी धीमी सिसकारियाँ लेने लगी मगर शायद भाभी को इस सब में मजा आ रहा था।
फिर मैंने अपने हाथ से अपना अंडरवीयर उतार दिया और फिर थोड़ी ही देर में उनकी पैंटी भी उतार फेंकी। मैंने देखा कि चूत पर एक भी बाल नहीं था शायद प्रिया ने अपनी चूत की ताजी-ताजी सफाई की थी।
मैं बिस्तर पर लेट गया और भाभी मेरा लण्ड चूसने लगी। थोड़ी ही देर में हम 69 की अवस्था में आ गए और प्रिया मेरा लण्ड और मैं उसकी चूत चूसने लगा। मैंने धीरे से उनकी चूत पर काट लिया जिससे भाभी जोर से चिल्ला उठी।
थोड़ी ही देर में हमने दोनों ही पानी छोड़ दिया।
फिर मैंने प्रिया को उठाया और…
कहानी जारी रहेगी !
आपको मेरे जीवन की कहानी का यह भाग कैसा लगा मुझे मेल करके जरूर बताइए ।
amitcoolwanthot@gmail.com
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