Friday, 26 October 2012

चचेरी बहन का कौमार्य-3 - Chacheri Bahan Ka Kaumarya 3


चचेरी बहन का कौमार्य-3
प्रेषक : अमित

दोस्तो, मेरा ख्वाब था कि मैं किसी की सील तोडूं !

पर मुझे अपनी बीवी के साथ भी यह मौका नहीं मिला था, हालांकि मेरी बीवी ने तब मुझे यही बताया था साईकिल चलाते वक्त उसकी चूत की झिल्ली फट गई थी, तो आज जब मुझे अपनी बहन प्रिया की सील टूटने का अनुभव मिला तो मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मैं अपने आप पर काबू नहीं कर पाया और इसी उत्तेजना में मेरा वीर्य निकलने लगा। मेरा गर्म-गर्म वीर्य मेरी बहन प्रिया की चूत के अन्दर निकल रहा था, वो भी मेरे लण्ड से निकलने वाले गर्म वीर्य को महसूस कर रही थी अपनी दोनों आँखों को बंद करके !

प्रिया की चूत इतनी कसी हुई थी कि वीर्य निकलने के दौरान लण्ड अपने आप झटके मरने लगता है, पर मेरे लण्ड को उसकी चूत के अन्दर झटके मारने की जगह भी नहीं मिल रही थी।

खैर मेरा लण्ड वीर्य निकलने के बाद कुछ ढीला हुआ, मैं धीरे से उठा, देखा तो प्रिया की चूत से खून का ज्वालामुखी फट गया था, उसकी जांघ, मेरी जांघ और चादर खून से सनी हुई थी, उसकी चूत से अब गाढ़ा खून (मेरे वीर्य की वजह से) निकल रहा था।

मैंने देखा प्रिया बेहोश सी लग रही थी, मैं जल्दी से रसोई में गया और पानी की बोतल लाकर उसके चेहरे पर पानी के छीटें मारे, उसने धीरे से आँखें खोली, मुझे उसकी करराहट साफ़ सुनाई दे रही थी, आँखों से आंसू बंद ही नहीं हो रहे थे।

मैं वहीं पास में ही बैठ गया और उसके बालों को सहलाने लगा। थोड़ी देर बाद वो कुछ सामान्य हुई, तो मैंने उसे कहा- जान, चलो मैं तुम्हारी चूत को साफ़ कर दूँ, आज मैंने तुम्हारी चूत का उद्घाटन कर दिया है।

उसने थोड़ा उचक कर अपनी चूत को देखा और बोली- भैया यह क्या कर दिया आपने?

मैंने कहा- बेटा परेशान मत हो, पहली बार तो यह होता ही है और अच्छा हुआ कि मैंने कर दिया, अगर कहीं बाहर करवाती तो पता नहीं कितना दर्द होता ! चलो अब उठो भी !

मैंने उसको सहारा देकर उठाया और बाथरूम ले गया। वहाँ पर मैंने उसको शावर के नीचे खड़ा कर दिया और फिर उसकी सफाई में जुट गया। इस दौरान मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। चूँकि हम दोनों ही निर्वस्त्र थे तो वो मेरे लण्ड को घूर रही थी।

मैंने उसकी चूत को तो साफ़ कर दिया, अब खून निकलना भी बंद हो गया था, अब मैंने उसको अच्छे से नहलाना चालू कर दिया। मैं उसकी चूचियों को रगड़ रहा था, अचानक मैं अपने घुटनों पर बैठ गया और उसकी चूत में अपना मुँह लगा दिया।

वो हिल कर रह गई।

मैंने कहा- प्रिया रानी, मुझे यह करने दो, इससे तुम्हारी चूत का दर्द जल्दी ठीक हो जाएगा।

और मैंने उसे चूतड़ों से पकड़ कर अपने मुँह को फिर से उसकी चूत में लगा दिया। मेरी गर्म जीभ ने अपना कमाल दिखाना आरम्भ कर दिया था। उसको जरूर मजा आ रहा था क्योंकि अब उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी।

मेरे हाथ उसकी गाण्ड को सहलाते जा रहे थे, मैंने अपनी जीभ और अन्दर घुसेड़ दी, मेरे लण्ड ने कुछ जगह तो बना ही दी थी उसकी चूत में, अचानक उसका बदन अकड़ने लगा और फिर मुझे अपनी जीभ में कुछ नमकीन सा स्वाद मिला, उसकी चूत की खुशबू और इस स्वाद ने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया कि मैं उसके रज की एक एक बूँद चाट गया।

अब उसने मेरा मुँह हटाने की कोशिश की और बोली- भैया, मुझे पेशाब आ रही है।

मैंने कहा- तू कर ! मैं तो आज तेरी पेशाब भी पियूँगा !

चूंकि उसकी चूत घायल थी तो वो चाहकर भी पेशाब को रोक नहीं पाई और मेरा मुँह उसके पेशाब से भरने लगा।

मैंने उसके पेशाब की एक एक बूँद पी डाली।

वो मुझसे बोली- भैया, आप बहुत गंदे हैं, एक तो मेरी यह हालत कर दी और मेरा पेशाब भी पी लिया।

मैंने कहा- प्रिया, मेरी जान ! तुमको अभी नहीं पता है कि तुमने मेरा कितना बड़ा ख्वाब पूरा किया है, जो चीज मुझे अपनी बीवी से हासिल नहीं हो पाई, वो तुमने मुझे दी है, तुम्हारे लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ।

अब मैं खड़ा हो गया था, मेरा लण्ड अभी भी तना हुआ था, मैंने उसका हाथ लेकर अपने लण्ड पर रख दिया, उसने लण्ड को पकड़ लिया, और उसके बाद जो हुआ, मैं भी उस समय हिल गया था, प्रिया अचानक अपने घुटनों के बल बैठ गई और मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया।

मुझे तो मानो स्वर्ग की प्राप्ति हो गई !

तब तक तो मैं यही समझ रहा था कि मैंने आज इसकी इच्छा के बिना इसकी सील तोड़ी है, पर अब उसके गुलाबी होंठ मेरे सुपारे को सहला रहे थे।

मैंने भी उसके सर को पीछे से पकड़ कर अपना लण्ड उसके मुँह में और घुसेड़ दिया और उसका सर बाल पकड़ कर आगे पीछे करने लगा। दोस्तो, मैं 2-3 मिनट से ज्यादा नहीं कर पाया और एक लम्बा धक्का देते हुए वीर्य की पिचकारी उसके मुँह के अन्दर मार दी। वो मेरा सारा वीर्य गटक गई, अब वो खड़ी होकर मेरे सीने से चिपक गई और मेरे कान में बोली- भैया, आपने भी तो मेरा ख्वाब पूरा किया है !

और एक गहरी मुस्कुराहट उसके चेहरे पर फैल गई।

मैं उसकी बात से इतना खुश हो गया कि मैंने उसको बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया। अब उसने भी मेरा साथ देना चालू कर दिया, मैंने उसको वहीं बाथरूम में लिटा दिया और उसके माथे, आँखों, नाक को चूमते हुए मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में घुसेड़ दी। वो मेरी जीभ को चूसने लगी, मेरे दोनों हाथ उसकी चूचियों को मसल रहे थे, अब बर्दाश्त करना मुश्किल था, मैंने एक हाथ से लण्ड को उसकी चूत के ऊपर सेट किया और उत्तेजना में जोर से धक्का मार दिया, मेरा आधा लण्ड उसकी चूत की फांकों को अलग करता हुआ घुस गया, वो इस बार भी चीख पड़ी और बोली- क्या आज भर में ही मार दोगे मुझे?

मैंने कहा- नहीं मेरी जान, तुमको तो बहुत सम्भाल कर रखूंगा !

फिर मैंने अपने लण्ड को धीरे धीरे डालना शुरू किया, उसको लण्ड के चूत में जाने का अहसास हो रहा था। जब मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया, तो मैंने उसकी चूचियों को पीना शुरू कर दिया। 2-3 मिनट बाद मैंने उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया। अब उसको भी उत्तेजना हो रही थी क्योंकि उसने अपने हाथों का घेरा मेरी पीठ पर कस कर बाँध दिया था और बीच बीच में उपने चूतड़ भी उठा देती थी।

करीब 7-8 मिनट के बाद उसने अपने हाथों के घेरे को बहुत ज्यादा कस दिया और अपने पैरों को मेरी गाण्ड के ऊपर कस दिया। मैं समझ गया कि इसकी चूत का पानी निकलने वाला है, मैंने भी अपनी गति बढ़ा दी।

अब उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रहीं थी, अचानक उसका पूरा बदन ऐंठने लगा और उसने मुझे कस कर भींच लिया। इसी बीच मेरे लण्ड से भी गर्म वीर्य का लावा निकल कर उसकी चूत में भरने लगा, हम दोनों एक साथ झड़ गए, थोड़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे, ऊपर शावर का पानी गिर रहा था। थोड़ी देर बाद हम दोनों एक साथ ही नंगे बदन ही कमरे में आ गए।

मैंने तौलिया उठाया और लपेट लिया। वो अपने कपड़े तलाशने लगी।

हम दोनों बिल्कुल खामोश थे शायद कुछ आत्मग्लानि की वजह से !

मैं वहाँ से जाने को हुआ तो प्रिया ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी आखों में देख कर बोली- यह सब आज के लिए ही था या फिर?

मैंने उसकी आँखों में देखा, मुझे वहाँ प्यार दिखाई दिया, मैंने उसको कस कर चिपटा लिया और बोला- मेरी जान, मैं हमेशा के लिए तुम्हारा गुलाम हो गया हूँ।

उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया, अपने कपड़े पहने।

तभी मैंने देखा कि प्रिया एक थाली में मेरे लिए खाना लेकर आई, मैंने देखा कि उसने पिछले दिन खरीदी हुई ड्रेस पहनी हुई थी जो मैंने पसंद की थी और परफ़्यूम लगाया हुआ था। एक बार फिर मैंने उसे गले लगा लिया और चुम्बनों की बारिश कर दी।

उसके बाद तो मेरा सिलसिला चल निकला, अब मैं और प्रिया सबके सामने तो भाई बहन की तरह रहते किन्तु अकेले में हम पति पत्नी की तरह रहते हैं और मजे कर रहे हैं।

उम्मीद है कि मेरी यह कहानी आपको पसंद आई होगी, आपके विचारों का इंतज़ार रहेगा।

फिर मैं आपको अपनी बुआ की लड़की की सील तोड़ने का किस्सा भी बताऊँगा जो मैंने अपनी प्रिया रानी की मदद से किया।

amitchoduknp@gmail.com


No comments:

Post a Comment