Monday, 29 October 2012

जीजा ने मेरा जिस्म जगाया-3 - Jija Ne Jism Jagaya 3


जीजा ने मेरा जिस्म जगाया-3
प्रेषिका : नीना

पता नहीं जीजा इन कामों में कितना हरामी था, बोला- क्या बात है, आज तेरी चाल में फर्क है?

"नहीं तो? तुम भी जीजा जो मर्ज़ी बोलते हो?"

"साली, जिंदगी देखी है ! बोल यार के नीचे लेटकर आई हो ना?"

"शटअप जीजू ! आप भी न !"

"साली कपड़े देख अपने ! आज अंदरूनी कपड़े पहन कर नहीं गई? देख कैसे नुकीले हुए हैं?"

दिमाग में सोचा- हाय ! ब्रा वहीं रह गई थी ! उसने उतार फेंकी थी, शायद बैड के नीचे रह गई !

"उड़ने लगे रंग ना? पार्टी में गई थी या किसी कबड्डी के मैदान में? जाकर कपड़े बदल ले, नहीं तो साफ़ साफ़ पकड़ी जायेगी।"

जल्दी से कमरे में गई, दूसरा सूट निकाला, पहले कमीज़ उतारी, जल्दी से ब्रा डालने लगी, जीजा आ गया अन्दर, उसने रोक दिया- वाह ! लगता है उसने खूब मसले ! देख दांत के निशान ! हमसे मत छुपाया कर रानी ! हम इस खेल के मंझे हुए खिलाड़ी हैं !

जीजा ने मुझे लट्टू की तरह जोर से अपनी तरफ घुमाया और सीधे होंठ मेरे चुचूक पर टिका चूस लिया।

"जीजा, माँ-दीदी आने वाली हैं, पकड़े जायेंगे।"

"हमारे लिए ना और बाकी सब के लिए हां?"

"ऐसी बात नहीं है, सच में ! समय देखो !"

जीजा ने जोर से बाँहों में भींचा उनकी बाजुएँ सतीश से मजबूत थी, होंठ मेरे मम्मों पर रगड़ने लगे, मैं फिर से गर्म होने लगी।

जीजा मुझे चूमते हुए मेरे पेट पर चूमने लगे फिर धीरे से सलवार का नाड़ा खींच दिया, सलवार गिर गई वो भी वहीं बैठ पैंटी एक तरफ़ सरका कर चूत देखने लगे- साली, पकड़ी गई तेरी चोरी ! अभी चुदी हो ! ज्यादा वक़्त नहीं हुआ।"

मुझे शर्म सी आने लगी- आप भी ना?

"बता ना? यार से मिलकर आई हो ना? ताज़ी ताज़ी बजी है।"

"आपके पास यंत्र मंत्र है?"

"मेरे पास आ जा जान !" जीजा ने जिप खोल दी।

जैसे उन्होंने निकाला, मेरा मुँह खुला का खुला रह गया, इतना बड़ा इतना भयंकर लौड़ा, काले रंग का मोटा लौड़ा !

"जीजा मुझे नहीं तेरे संग लेटना तेरा लौड़ा बहुत ज़ालिम दिखता है !"

"रानी, अभी तो बच्ची है, तुझे मालूम होना चाहिए कि औरत मोटे से मोटा लौड़ा ही पसंद करती है, जिसका ख़ासा लंबा हो, तेरी दीदी इस पर मर मर जाती है, मगर जब से उसने बच्चा दिया है तब से वो ढीली हो गई है।"

"हाय जीजा, प्यार से मसलो इनको ! बच्ची हूँ अभी !"

जीजा मुँह में जुबान डाल जुबान से जुबान को लड़ाने लगे। मैं गर्म हो चुकी थी, उनका तरीका ख़ास था जिसने मुझे भुला दिया था कि मैं कुछ देर पहले ही चुदी हूँ, उनके हाथ बराबर मेरे मम्मों पर फिसल रहे थे, मस्ती से मेरी आँखें बंद थी।

"दीदी आ गई तो बवाल होगा !"

"साली साहिबा। डर मत !"

"आपका बहुत बड़ा है !"

"तेरे यार काबड़ा नहीं है क्या?"

"आप जितना नहीं है जीजा !"

"ले थाम इसको ! चूस !"

थोड़ी देर चूसने बाद रुक गई मेरा जबाड़ा थक गया तो जीजा ने मेरी टांगें फैला दी, पाँव की तरफ जाकर चूत चाटने लगे। मैं पूरी नंगी थी, जीजा जी की सिर्फ जिप खुली थी, रुकना जीजा !"

मैं उठी, जब चली तो जीजा बोला- हाय मर जाऊँ ! तेरी मटकती गांड ! साली, तेरी इस हवाई पटी पर हर कोई जहाज उतारना चाहेगा।

मैंने अपने कपड़े बाथरूम के पीछे टांग दिए, वापस गई तो जीजा ने लपक लिया, वो जहाज उतारने की पूरी तैयारी कर चुके थे, कंडोम पहन रखा था।

"यह क्या जीजा?"

"इससे तेरे अंदर मेरा बीज नहीं गिरेगा ! इसे निरोध कहते हैं रानी, कंडोम भी !"

"जीजा, आप बहुत गंदे हो !"

"साली जो चाहे कह ले, यह तो आज घुसेगा ही घुसेगा !" जीजा ने अभी सुपारा ही घुसाया कि मेरी जान निकलने लगी।

थोड़ा और किया।

सतीश से मेरी झिल्ली पूरी नहीं फटी थी क्यूंकि जीजा ने कपड़े से मेरी चूत साफ़ की तो उस पर चूत का रस और खून था।

मेरे होंठ दबा जोर का झटका दिया- मर गई !

मुझे लगा कोई खंजर मेरी चूत में घुसने लगा।

रहम नहीं खाया जीजा ने मेरे ऊपर !

तभी दरवाजे की घण्टी बजी और हम घबराने लगे।

जीजा ने दर्द से कराह रही अपनी साली को यानि मुझे छोड़ा- तू बाथरूम में घुस जा !

उन्होंने कपड़े नहीं उतारे थे, जल्दी से चादर की सलवटें ठीक की, मैं बाथरूम गई, बुरा सा मूड लेकर और दरवाज़ा खोला।

दीदी और माँ थी- इतनी देर?

"सो रहा था जानू !"

"नीना नहीं आई अभी सहेली के यहाँ से?"

"शायद आ गई।"

मैंने नहा धोकर कपड़े पहने, तौलिए से बाल पोंछती निकली

"आ गई?"

"दीदी ! हाँ आ गई !""तू कब आई बेटी?"

"बस माँ, आपके आगे आगे ही लौटी हूँ ! जीजू सो रहे थे तो मैंने जगाया नहीं, इसी लिए कुण्डी लगा कर नहाने चली गई/"

जीजू की नज़र में प्यासी वासना थी, खूबसूरत साली को नंगी करवा कर उसके एक एक अंग से खेल जब मंजिल की तरफ बढ़े तो निकालना पड़ा।

जीजा बोले- नीना, यह दोनों तो बाज़ार घूम आई, मैं सुबह से बोर हो रहा हूँ ! चल कहीं पानी-पूरी या चाट खाकर आयें !

दीदी से बोले- चलेगी क्या?

वो बोली- अभी थकी आई हूँ ! तुम जाओ !

जीजा तो धार कर बैठे थे कि आज नहीं छोड़ने वाले !

एक सुनसान सड़क पर कार रोक मुझे चूमने लगे !

"जीजा, यह क्या?"

"बस चुपचाप पिछली सीट पर टाँगें उठा कर लेट जा !"

"यहाँ !"

"हाँ रानी !"

"यहाँ नहीं जीजा ! कहीं पुलिस ने पकड़ लिया तो बदनाम होंगे। सोचो, घर में इतना घबरा गए थे ,यहाँ क्या होगा?"

"सही बात कहती है, पर एक बार पानी निकलवा दे !"

मैं उनकी मुठ मारने लगी, झुक कर बीच में चुप्पा भी लगा देती।

जीजा मेरी चोटी पकड़ कर मेरा सर आगे पीछे करने लगे।

अचानक उन्होंने अपने हाथ में लेकर मुठ मारनी चालू की और मेरे बालों को नोंचते दबा कर पूरा माल मेरे मुँह में निकाल दिया।

"जीजा, यह क्या मुझे उलटी हो जायेगी !"

"कुछ नहीं होगा, रात को तेरे कमरे में आऊँगा !"

"मगर दीदी?"

"उसके दूध में नींद की गोली मिला दूँगा, तू बस चूत को साफ़ सफाई कर तैयार कर ले !"

"जीजा, तू बहुत हरामी है !"

कहानी जारी रहेगी।

neena.neena91@yahoo.com

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