चल कुछ हो जाये !
प्रेषक : प्यार का मारा
यह मेरी पहली कहानी है। मैंने अन्तर्वासना पर लगभग सारी कहानियाँ पढ़ी हैं और अब मैं अपनी कहानी भी भेज रहा हूँ। यह सच्ची घटना है।
मैं ताज सिटी आगरा का रहने वाला हूँ, मेरी बुआ राजस्थान में रहती है। मेरी बुआ की तीन लड़कियाँ हैं।
यह तब की बात है जब बुआ की बड़ी लड़की की शादी थी और मैं शादी के इंतजाम के लिए एक महीना पहले चला गया था।
मेरी बुआ के घर में एक किराएदार रहते थे उनकी एक लड़की थी नाम था अमिता ! वो बहुत सुन्दर थी, मैं उसे चोदना चाहता था।
जब मैंने बुआ की एक लड़की शालू को अपने मन की बात बताई कि मैं अमिता को प्यार करने लगा हूँ तो शालू ने तभी अपने प्यार की बात बताई कि वो मन ही मन मुझे प्यार करने लगी थी और मुझे चूम लिया। मैं भी जज्बात में बह गया और मैंने भी उसे चूम लिया।
हम दोनों पास-पास ही सोते थे। एक रात जब हम दोनों सोये हुए थे तो मुझे नींद नहीं आ रही थी और मैं शालू की नाइटी में हाथ डाल कर उसकी चूची दबाने लगा। पर शायद वो गहरी नींद में थी, मेरी हिम्मत बढ़ी, मैंने उसकी पेंटी के ऊपर हाथ फिराया तो पाया उसने नेपकिन लगाया हुआ है, और पता नहीं कब नींद आ गई।
सुबह जब मैंने शालू को बताया कि मैंने तेरी पेंटी पर हाथ फिराया था तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि मैंने ऐसा किया होगा।
जब मैंने उसे नेपकिन वाली बात बताई जब उसने मान लिया कि मैं सच बोल रहा हूँ।
तब मैंने उससे सेक्स पर बात करनी चालू कर दी।
अगली रात को मैंने उससे कहा- चल कुछ सेक्स हो जाये !
तो वो बोली- नहीं !
मैं- क्यों? तू तो मुझसे प्यार करती है फिर क्यों नहीं?
शालू- मैं गन्दा काम नहीं कर सकती।
मैं- गन्दा मतलब?
शालू- वो ही जो तुम चाहते हो !
मैं - चुम्मी तो दे दे !
शालू- चल ठीक है !
और मैंने उसको खूब चूमा और उसकी कपड़ों के ऊपर से ही चूचियाँ सहलाई। वो गर्म होने लगी पर शरमा रही थी। मैं उसकी शर्म दूर करने के लिए उससे बात करने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैं- तेरा क्या नाप है?
और मेरे हाथ अपना काम कर ही रहे थे।
शालू- 32
मैं- कभी दबवाई हैं या नहीं?
वो ही जबाब जो हर रण्डी भी देती है- नहीं !
फिर मैं अपना हाथ धीरे धीरे उसकी नाइटी में डालने लगा तो उसने मना कर दिया।
मैंने कहा- क्यों?
उसने कहा- ऊपर से चाहे जो कर लो, पर अंदर नहीं !
मैंने पूछा- क्यों? अंदर क्यों नहीं?
तो उसने कहा- बस ऐसे ही !
फिर मैं ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ फिराता रहा पर मुझसे रुका नहीं जा रहा था, मैंने उसे कहा- मेरा लण्ड तो पकड़ ले !
उसने पजामे के ऊपर से ही लण्ड पकड़ कर सहलाया।
मैंने कहा- हाथ तो अंदर डाल ले !
उसने मना कर दिया, मुझे बहुत गुस्सा आया पर मैं शांत रहा और अपना अपना लण्ड पजामे से बाहर निकल कर उसके हाथ में दे दिया।
वो भी धीरे धीरे गर्म हो गई, मैंने मौके का फ़ायदा उठाया और उसके चूचे अंदर हाथ डालकर पकड़ लिए और प्यार से हाथ फिराने लगा।
फ़िर मैंने अपना पानी उसके पेट पर गिराया और उससे चिपक कर सो गया।
अगली रात को हम फिर चालू हो गए। वो कुछ खुल कर कर रही थी।
मैंने उसे कहा- चुम्मी लेनी है।
उसने कहा- ले लो !
मैंने कहा- नीचे की लेनी है।
वो शरमा गई और मैं उसके कपड़े उतारने लगा, उसका विरोध न के बराबर था पर उसने पेंटी और ब्रा नहीं उतारने दी और मैंने पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को चूमना चालू कर दिया।
वो बहुत गर्म हो गई और मुझे लिटा कर मुझे नंगा करके मेरा लण्ड अपने मुँह में लिया और चूसने लगी।
मुझे बहुत मज़ा आया, मैंने उसकी ब्रा उतारी और उसकी चूची मुँह मे ली और चूसने लगा।
उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।
फिर मैंने पेंटी उतारी और उसकी चूत को चाटने लगा। वो गली बकने लगी। मेरा जोश और बढ़ गया।
शालू- बहनचोद..... अ आ आह और चाट साले ! तेरी माँ की चूत !
मैंने मुँह हटा कर उसकी चूत में उंगली डाल दी और मैं भी गाली देने लगा।
मैं- रण्डी, साली ! रखैल ! तेरी चूत को चोद कर भोंसड़ा बना दूँगा।
फिर हम 69 की अवस्था में हो गए और मैं उसकी चूत और वो मेरे लण्ड को चूसने लगी और कमरे में सेक्स का माहौल हो गया।
वो साली पूरी रण्डी की तरह मेरे लण्ड को चूसने लगी। मेरे लण्ड का पानी उसके मुँह में ही निकल गया तो वो उलटी करने लगी।
फिर मैंने उसे सीधा लिटाया और उसके मुँह में दुबारा लण्ड दे दिया। मेरा लण्ड दुबारा खड़ा हो गया तो मैंने अपना लण्ड उसकी चूत के ऊपर रगड़ना चालू किया पर उसने मना कर दिया- कुछ भी कर लो पर मुझे मत चोदो ! मैं नहीं चुदना चाहती।
पर मैंने जबरदस्ती उसकी चूत में लण्ड डाल दिया।
वो रोने लगी।
मैंने कहा- बहन की लौड़ी, क्यों रो रही है? आज तो तेरी माँ चोद कर ही हटूँगा।
वो रोती ही रही फिर उसे भी मज़ा आने लगा और वो अपने हाथ मेरी पीठ पर चलाने लगी और बोलने लगी- फाड़ दे मेरी चूत को ! भोंसड़ी के ! बड़ा तड़पाया है इस चूत ने आज तक ! आ...... आह्ह्ह ओह्ह्ह......... मजे आ गया।
मेरा निकलने वाला था तो मैंने पूछा- किधर निकालूँ?
उसने कहा- बाहर निकालना !
और मैंने अपना लण्ड बाहर खींचा और अपना पानी उसकी झांटोँ पर डाल दिया और हम नंगे ही चिपक कर लेट गए।
मैंने पूछा- मज़ा आया?
तो वो बोली- हाँ !
अब तो रोज की चुदाई पक्की थी पर मेरा शिकार तो और कोई थी।
बाकी कहानी दूसरे भाग में !
कहानी के बारे में अपनी राय कृपया मुझे मेल करें !
pyarkamarayehdilbechara@gmail.com
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